तहखाने, गुंबद, दीवारें... ज्ञानवापी के कोने-कोने की हो रही जांच, अब तक क्या-क्या मिला?

Gyanvapi ASI Survey: वाराणसी में ज्ञानवापी के सर्वे का काम जारी है. ASI की टीम द्वारा किए जा रहे इस सर्वे का आज सातवां दिन है. ज्ञानवापी परिसर के बाहरी हिस्से, गुंबद से लेकर तहखानों तक की जांच-पड़ताल और नापजोख हो रही है. आज (9 अगस्त) IIT कानपुर से

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Gyanvapi ASI Survey: वाराणसी में ज्ञानवापी के सर्वे का काम जारी है. ASI की टीम द्वारा किए जा रहे इस सर्वे का आज सातवां दिन है. ज्ञानवापी परिसर के बाहरी हिस्से, गुंबद से लेकर तहखानों तक की जांच-पड़ताल और नापजोख हो रही है. आज (9 अगस्त) IIT कानपुर से एक्सपर्ट की टीम भी ज्ञानवापी पहुंच रहीहै. बीते दिन ASI के मेंबर्स ने ऊपर चढ़कर गुंबद की पैमाइश की थी. आइए जानते हैं अब तक किन-किन जगहों का सर्वे हुआ और वहां से क्या-क्या 'सबूत' मिले?

बता दें कि ASI टीम आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर ज्ञानवापी के सर्वे को अंजाम दे रही है. 3डी मैपिंग, स्कैनिंग, हाईटेक फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के जरिए 'सबूत' जुटाए जा रहे हैं. इसी कड़ी में IIT कानपुर से एक्सपर्ट की टीम को GPR (ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार) मशीन से सर्वे के लिए बुलाया गया है. इस तकनीक से खुदाई किए बिना जमीन के नीचे जांच की जाएगी.

ज्ञानवापी की दीवारों पर अंकित निशान, उसकी प्राचीनता, कलाकृतियां, मिट्टी के सैंपल, पत्थर के टुकड़े, कथित तौर मिली टूटी प्रतिमा जैसी चीजों को ASI ने बतौर सैंपल जमा किया है. साथ ही डिजिटल नक्शे के जरिए ज्ञानवापी के स्ट्रक्चर को समझने की कोशिश की जा रही है. आज श्रृंगार गौरी की दीवार और छत ढलान का सर्वे भी किया जाएगा.

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ज्ञानवापी सर्वे में अब तक क्या-क्या मिला?

हिंदू पक्ष की ओर से दावा किया गया कि ASI के सर्वे में ज्ञानवापी के तहखाने में मंदिर से जुड़ी कलाकृतियां मिली हैं. दीवारों पर त्रिशूल, कलश, कमल और स्वास्तिक के निशान मिले हैं. हालांकि, इसको लेकर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति ने जताई है. उन्होंने सर्वे को लेकर लीक हो रही खबरों पर नाराजगी व्यक्त की है.

ये भी पढ़ें-VIDEO: ज्ञानवापी के गुंबद पर पहुंची ASI की टीम, देखें किस तरह से हो रहा सर्वे?

अंजुमन इंतजामिया कमेटी के वकील अखलाक अहमद ने कहा कि जिसे त्रिशूल बताया जा रहा है असल में वो 'अल्लाह' लिखा हुआ है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मस्जिद के गुंबद के नीचे शंक्वाकार आकृति या शिखर नुमा आकृति मिली है, इस सवाल के जवाब में अखलाक ने कहा कि जितने भी बड़े गुंबद होते हैं, वह दो हिस्सों में ही बनते हैं. अगर ऐसी बनावट नहीं होगी तो हवा क्रॉस होने की जगह ना होने के चलते वह गुंबद गिर जाएगा.

अखलाक अहमद ने यह भी दावा किया कि मुगलकालीन सिक्कों पर भी 'स्वास्तिक' और 'ओम' की आकृति उकेरी जाती थी. इसलिए यह कह देना कि कमल का फूल सिर्फ मंदिरों पर ही बना हुआ मिलेगा, गलत है. फूल तो कोई भी बना सकता है. उसका मंदिर या इस्लाम से कोई मतलब नहीं है.

और पढ़ें-'ज्ञानवापी में 'त्रिशूल' का चिन्ह नहीं बल्कि 'अल्लाह' लिखा हुआ...,' ASI सर्वे के बीच मुस्लिम पक्ष के वकील का दावा

गौरतलब है कि शनिवार को हुए सर्वे के बाद हिंदू पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी ने दावा किया था कि मलबे में मूर्तियां नहीं, बल्कि मूर्तियों के टुकड़े मिले हैं. सुधीर ने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि मूर्तियां भी बरामद होंगी. फिलहाल, दोनों तरफ से अपने-अपनेपक्ष में दावे किए जा रहे हैं. लेकिन फाइनल रिपोर्ट के लिए ASI सर्वे के पूरा होने का इंतजार करना होगा. ASI को 'साइंटिफिक जांच' की रिपोर्ट 2 सितंबर तक कोर्ट में जमा करनी होगी.

ज्ञानवापी के मुख्य इमाम ने क्या कहा?

इससे पहले ज्ञानवापी के मुख्य इमाम और जनरल सेक्रेटरी मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने कहा था कि जिन हिन्दू प्रतीक चिन्हों के ज्ञानवापी परिसर में दिखाई देने का दावा किया जा रहा है वो हिन्दू-मुस्लिम साझा संस्कृति के प्रतीक हैं. इन्हें औरंगजेब ने ज्ञानवापी मस्जिद में बनवाया था. उन्होंने यह भी कहा कि हम हर जुम्मे को वहां नमाज पढ़ाने जाते हैं लेकिन हमको आज तक वहां ऐसा कोई निशान नहीं दिखा. तो हम यह कैसे मान लें कि वह (हिंदू पक्ष) सही कह रहे हैं.

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इनपुट: रोशन जायसवाल/ कुमार अभिषेक/ समर्थ श्रीवास्तव

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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